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लखनऊ यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ने-चुनाव आयोग पर उठाये सवाल, तीन बिंदुओं पर मांगा जवाब.

लखनऊ यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ने-चुनाव आयोग पर उठाये सवाल, तीन बिंदुओं पर मांगा जवाब.



• लखनऊ यूनवर्सिटी भाषा विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर माद्री काकोटी एक बार फिर चर्चा में हैं.

 • इस बार उन्होंने चुनाव आयोग को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है.

"साप्ताहिक जनता की आवाज"
 न्युज नेटवर्क 
२०अगस्त २०२५

 न्यु दिल्ली/नागपूर :- अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों की ओर से चुनाव आयोग पर लगाए जा रहे आरोपों के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय के लिंगविस्टिक विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी ने भी निर्वाचन आयोग पर तीखा हमला बोला है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर २ मिनट ४३ सेकेंड का वीडियो जारी करते हुए उन्होंने सीधे तौर पर चीफ इलेक्शन कमिश्नर को कटघरे में खड़ा किया है.प्रो. माद्री काकोटी लगातार अपने बयानों के लिए सुर्खियों में रही हैं. अब उनके नए बयान पर विवाद शुरू हुआ है.
डॉ. काकोटी ने अपने पोस्ट में लिखा कि टॉप 3 तरीकों से भारत के इलेक्शन कमीशन ने भारतीयों को छला है. दूसरे लोगों के पोस्ट पर मिस लीडिंग का टैग लगाने वालों, लगता है आपके भी हाथ में लाल इंक लग गई है. जिसने एफिडेविट दिया, उनकी कंप्लेंट में आपने क्या किया?
 उन्होंने कहा कि वह इस बयान के लिए एफिडेविट दाखिल करने को भी तैयार हैं.

कौन हैं प्रो. काकोटी?

डॉ. माद्री काकोटी असम की रहने वाली हैं. वे लखनऊ यूनिवर्सिटी में भाषा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. डॉ. माद्री काकोटी सोशल मीडिया पर डॉ. मेडुसा के नाम से भी मशहूर हैं. वे अक्सर व्यंग्यात्मक लहजे में सरकारों की आलोचना करती हैं. पिछले दिनों ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी उन्होंने विवादित बयान दिया था. इसके बाद उन पर केस दर्ज हुआ था। अब एक बार फिर वे चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं.

तीन अहम सवाल खड़े किए.

प्रोफेसर ने वीडियो में कहा कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) ने हाल ही में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए आम वोटर को गुमराह करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि काफी मुद्दे हैं, लेकिन वह तीन अहम मुद्दों पर बात करना चाहती हैं/

एफिडेविट का मामला

प्रोफेसर ने सवाल उठाया कि आयोग बार-बार एफिडेविट की बात क्यों कर रहा है जबकि विशेषज्ञ स्पष्ट कर चुके हैं कि एफिडेविट सिर्फ ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में गलती होने पर दाखिल होता है. उन्होंने पूछा कि जिन लोगों ने एफिडेविट दिया था, उस पर आयोग ने क्या कार्रवाई की?

अखिलेश का उदाहरण

डॉ. काकोटी ने बताया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2022 के यूपी चुनावों के दौरान 18 हजार नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाने के मामले में एफिडेविट जमा किया था.उन्होंने आज ही अपने एफिडेविट की रिसीविंग ट्विटर पर पोस्ट करते हुए आयोग को चुनौती दी है कि ‘आप सबूत मांगते है, यह रहा सबूत’.

पीपल्स रिप्रेजेंटेटिव एक्ट का हवाला

प्रोफेसर ने कहा कि इस एक्ट की सेक्शन-२० के अनुसार चुनाव आयोग बिना किसी शिकायत के भी वोटर लिस्ट की गलतियों को सुधार सकता है. उन्होंने कहा कि आयोग को अपना पुलिस वाला काम करना चाहिए और यह देखना चाहिए कि अपराध (डिलीशन) हुआ है या नहीं.

अनुराग ठाकुर पर भी साधा निशाना.

वीडियो के अंत में डॉ. काकोटी ने भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पर भी तंज कसते हुए पूछा कि राहुल गांधी से एफिडेविट मांग रहे हैं, लेकिन क्या आपने ऐसा ही एफिडेविट अनुराग ठाकुर से भी मांगा? डॉ. माद्री काकोटी ने अपने बयान के जरिए चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा किया.

डॉ. काकोटी ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव के रुख का खुलकर समर्थन किया, वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं.

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