अपने अधिकारों की सीमाओं के भीतर रहकर काम करे!..SC
रविवार, 17 अगस्त 2025
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•सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर राज्य सरकारें आवेदन दाखिल करना चाहती हैं.
SC में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर कुछ राज्यों ने दाखिल की दलीलें.
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न्यूज नेटवर्क
दिल्ली/नागपूर :- सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर कुछ राज्य आवेदन दाखिल करने की तैयारी में हैं. इनमें तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और कर्नाटक शामिल हैं. पश्चिम बंगाल ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखने का प्रयास भी सुप्रीम कोर्ट में किया था. यह राज्य कोर्ट में चुनाव आयोग की मौजूदा कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करना चाहते हैं.
राज्य चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट उनकी ओर से रखे जाने वाले पक्ष को एसआईआर मामले पर सुने. वह चुनाव आयोग की पारदर्शिता व जवाबदेही तय करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखना चाहते हैं. ताकि कार्यप्रणाली में स्पष्टता आ जाए.राज्यों का कहना है कि आयोग को अपने दायरे में रहकर कार्य करने चाहिए, ताकि नागरिकों के किसी भी तरह के अधिकारों का हनन न हो.
मतदाता सूची में बदलाव मौलिक अधिकारों को कर सकते हैं प्रभावित
राज्यों का कहना है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव संविधान प्रदत्त अधिकारों और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित कर सकते हैं. राज्यों ने तर्क दिया कि मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना साझा जिम्मेदारी है और चुनाव आयोग को अपने अधिकारों की सीमाओं के भीतर रहकर कार्य करना चाहिए.
वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों को करे सार्वजनिक
गुरुवार को बिहार में जारी मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस ने कहा कि जिन ६५ लोगों के नामों को चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से बाहर किया है, उन सभी मतदाताओं के नाम निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक किए जाएं. जिसके बाद आयोग ने कहा कि वह सभी ६५ लाख मतदाताओं के नाम और उन्हें हटाए जाने का कारण सार्वजनिक करेगी.
बता दें कि बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया जोरों शोरों से चल रही है. बिहार के साथ-साथ चुनाव आयोग ने कई राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसको लेकर कई विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना कर रही हैं और सरकार पर निशाना साध रही हैं. विपक्ष का मानना है कि एसआईआर के तहत सरकार वोट चोरी कर रही है और नागरिकों को उनके वोट देने के मौलिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है. जबकि चुनाव आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया से केवल उन्हीं लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं जो इसके पात्र नही हैं.
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